हाइपरलूप क्या है?
हाइपरलूप ऐसी तकनीक है जिसमें कम दबाव वाली ट्यूब में चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी मदद से बिना friction के लोगों और मालको तेज गति से लाया-ले जाया जा सकेगा. रेलवे मंत्रालय का कहना है कि भारत के Carbon Neutral और कम ऊर्जा खपत के लक्ष्य में इससे मदद मिलेगी।
भारतीय रेलवे ने आईआईटी मद्रास के तकनीकी सहयोग के साथ इस हाइपरलूप प्रोजेक्ट की शुरुआत की है।
इसमें परिवहन के लिए ‘ट्यूब’ या ‘सुरंगों’ का इस्तेमाल किया जाता है। इन सुरंगो में घर्षण को कम करने के लिए अधिकांश हवा को हटाते हुए लगभग वैक्यूम जैसे हालात पैदा किए जाते हैं, जिसके चलते इन सुरंगो में गाड़ी (पॉड) की रफ़्तार 750 मील/घंटे तक हो सकती है।
दूसरे अंतर ये है कि पारंपरिक ट्रेनों से अलग इन हाइपरलूप वाहनों (पॉड) में पहियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। जी हाँ! आपने बिलकुल सही पढ़ा, पहियों के बजाए पॉड्स में चुंबकीय उच्चावच (Magnetic Elevation) का इस्तेमाल होता है, मानों जैसे ये वाहन हवा में तैर रहे हों!
क्या है फायदे?
असल में दुनिया भर में HyperLoop इसलिए इतनी चर्चा में हैं क्योंकि माना ये जा रहा है कि पारंपरिक हाई-स्पीड ट्रेनों की तुलना में इसको तेज़ी बनाया जा सकता है और साथ ही इसकी संचालन लागत भी कम है।
इसके ज़रिए तेज़ी से बढ़ते शहरों में ट्रैफ़िक जैसी समस्या को भी दूर करते हुए शहरों के बीचो-बीच ऐसी सुविधाएं संभावित आर्थिक लाभ भी दे सकती हैं।
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